About Ayurveda and some benefit from it

आयुर्वेद

आयुर्वेद (आयुः + वेद आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञानकला और दर्शन का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन से सम्बन्धित ज्ञान’। आयुर्वेदभारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञानविज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखनेरोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।

हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।

मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥ -( चरक संहिता १/४०)








आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन दोषों (त्रिदोष= वात, पित्त, कफ) के असंतुलन को रोग का कारण मानते हैं और समदोष की स्थिति को आरोग्य। इसी प्रकार सम्पूर्ण आयुर्वैदिक चिकित्सा के आठ अंग माने गए हैं (अष्टांग वैद्यक), ये आठ अंग ये हैं- कायचिकित्सा, शल्यतन्त्र, शालक्यतन्त्र, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र, भूतविद्या, रसायनतन्त्र और वाजीकरण।


       


आयुर्वेद क्या है? | What is Ayurveda?

आयुर्वेद प्राचीन भारतीय प्राकृतिक और समग्र वैद्यक-शास्र चिकित्सा पद्धति है। जब आयुर्वेद का संस्कृत से अनुवाद करे तो उसका अर्थ होता है "जीवन का विज्ञान" (संस्कृत मे मूल शब्द आयुर का अर्थ होता है "दीर्घ आयु" या आयु और वेद का अर्थ होता हैं "विज्ञान"।
एलोपैथी औषधि (विषम चिकित्सा) रोग के प्रबंधन पर केंद्रित होती है, जबकि आयुर्वेद रोग की रोकथाम और यदि रोग उत्पन्न हुआ तो कैसे उसके मूल कारण को निष्काषित किया जाये, उसका ज्ञान प्रदान करता है।

आयुर्वद का ज्ञान पहले भारत के ऋषि मुनियों के वंशो से मौखिक रूप से आगे बढ़ता गया उसके बाद उसे पांच हजार वर्ष पूर्व एकग्रित करके उसका लेखन किया गया। आयुर्वेद पर सबसे पुराने ग्रन्थ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय हैं। यह ग्रंथ अंतरिक्ष में पाये जाने वाले पाँच तत्व-पृथ्वी, जल वायु, अग्नि और आकाश, जो हमारे व्यतिगत तंत्र पर प्रभाव डालते हैं उसके बारे में बताते हैं। यह स्वस्थ और आनंदमय जीवन के लिए इन पाँच तत्वों को संतुलित रखने के महत्व को समझते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति दूसरों के तुलना मे कुछ तत्वों से अधिक प्रभावित होता है। यह उनकी प्रकृति या प्राकृतिक संरचना के कारण होता है। आयुर्वेद विभिन्न शारीरिक संरचनाओं को तीन विभिन्न दोष मे सुनिश्चित करता है।

वात दोष: जिसमे वायु और आकाश तत्व प्रबल होते हैं।
पित्त दोष: जिसमे अग्नि दोष प्रबल होता है।
कफ दोष: जिसमे पृथ्वी और जल तत्व प्रबल होते हैं।
दोष सिर्फ किसी के शरीर के स्वरुप पर ही प्रभाव नहीं डालता परन्तु वह शारीरिक प्रवृतियाँ (जैसे भोजन का चुनाव और पाचन) और किसी के मन का स्वभाव और उसकी भावनाओं पर भी प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए जिन लोगो मे पृथ्वी तत्व और कफ दोष होने से उनका शरीर मजबूत और हट्टा कट्टा होता है। उनमे धीरे धीरे से पाचन होने की प्रवृति, गहन स्मरण शक्ति और भावनात्मक स्थिरता होती है। अधिकांश लोगो मे प्रकृति दो दोषों के मिश्रण से बनी हुई होती है। उदाहरण के लिए जिन लोगो मे पित्त कफ प्रकृति होती है, उनमे पित्त दोष और कफ दोष दोनों की ही प्रवृतिया होती है परन्तु पित्त दोष प्रबल होता है। हमारे प्राकृतिक संरचना के गुण की समझ होने से हम अपना संतुलन रखने हेतु सब उपाय अच्छे से कर सकते है।

आयुर्वेद किसी के पथ्य या जीवन शैली (भोजन की आदते और दैनिक जीवनचर्या) पर विशेष महत्त्व देता है। मौसम मे बदलाव के आधार पर जीवनशैली को कैसे अनुकूल बनाया जाये इस पर भी आयुर्वेद मार्गदर्शन देता है।

आयुर्वेद में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के इलाज मौजूद है। ऐसी चीजें जो हमारे आसपास ही हैं लेकिन हमें उनके बारे में जानकारी नहीं है। प्रस्तुत है कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जो आपको बिना किसी साइड इफेक्ट के स्वास्थ्य लाभ देंगी। 

पुदीना पुदीने की पत्तियां खून साफ करती हैं, सिरदर्द ठीक करती हैं, खराब गले को राहत पहुंचाती हैं, उल्टियों को रोकती हैं और दांतों की दिक्कतों से भी निजात दिलाती हैं। पुदीना ऐंटी-बैक्टीरियल भी होता है जो शरीर में बैक्टीरिया पैदा होने से रोकता है।

 




हल्दी - हल्दी का इस्तेमाल हम लगभग सभी हिन्दुस्तानी सब्जियों या खाद्य पदार्थों में करते हैं। इसकी जड़ों और पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं। इसमें सबसे अच्छे ऐंटी-बैक्टीरियल गुण हैं। इससे जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस, पाचन विकार, दिल और लिवर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। यहां तक कि यह कैंसर सेलों को खत्म करती है और स्किन के लिए भी अच्छी होती है




लेमन ग्रास - यह आमतौर पर उत्तर भारत में उगाया जाता है। इसे चाय में डालकर पीने का चलन है। लेमन ग्रास शरीर, जोड़ों, सिर और मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाती है और स्ट्रेस से भी बचाती है।

 



सफेद कमल - सफेद कमल की पत्तियां, फूल, बीज और जड़ों से हैजा, पेट की बीमारियों, कब्ज और आंखों के इन्फेक्शन का इलाज किया जाता है। सफेद कमल के बीजों को भी कामोत्तेजक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

 

 

गुलाब - गुलाब की पत्तियां खाने से दिल की सेहत बनती है, सूजन घटती है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और ब्लड प्रेशर कम होता है। गुलाब की पत्तियों से भी स्ट्रेस, मासिक पीड़ा, अपच और अनिद्रा से निजात मिलती है।

 


मेहंदी की पत्तियां - मेहंदी की पत्तियां मूत्रवर्धक होती हैं। वे दर्द को कम करती हैं और शरीर को डीटॉक्स करती हैं। कब्ज के इलाज में भी इनका इस्तेमाल हो सकता है। छाले, अल्सर, चोट, बुखार, हैमरेज और मासिक दर्द से भी मेहंदी की पत्तियां छुटकारा दिलाती हैं।

दालचीनी - भारतीय मसालों में दालचीनी अहम है। इसके सेवन से दर्द कम होता है और अकड़न दूर होती है। यह किडनी को डि‍टॉक्स करता है और सांस संबंधी दिक्कतें दूर कर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है।



इसबगोल - इसबगोल की भूसी कब्ज का अचूक इलाज है। यह एक तरह की घुट्टी है जो आंतों को रिलैक्स करती है। इसे पीसकर जोड़ों पर लगाने से जोड़ों के दर्द से भी आराम मिलता है।



तुलसी - तुलसी का शाब्दिक अर्थ होता है 'अतुल्यनीय पौधा'। भारत में तुलसी को सबसे पवित्र जड़ी- बूटी माना जाती है। इसके प्रभावों और फायदों के कारण ये दुनिया भर में जानी जाती है। तुलसी के पत्तों में कई तरह न्यूट्रीशन और विटामिन्स पाये जाते हैं, जैसे - विटीमिन ए, बी, सी और के, कैल्शियम, आयरन, क्लोरोफिल, जिंक, ओमेगा- 3, मैग्नीशियम, मैंगजीन

तुलसी का पौधा हर घर में पाया जाता है, लेकिन सामने रहने के बाद भी शायद आपको ये पता नहीं होता है कि ये एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो बाजार में मिलने वाली दवा से सस्ती और तमाम नुकसानों से रहित है। आइए जानते हैं तुलसी के चमत्कारिक फायदों के बारे में -

स्किन इंफेक्शन से राहत, सर्दी -खांसी में फायदेमंद, तनाव करें दूर, कैंसर से बचाव, अनियमित पीरियड्स की समस्या में, पेट संबंधित बीमारियों में, गुर्दे की पथरी में लाभ, इम्युनिटी पावर बढाए, इम्युनिटी पावर बढाए।



आयुर्वेद से  सम्बंधित  लाभ की जानकारी के लिये Ayurveda for Healthy Living के  साथ जुड़े।



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