Ayurveda can Help to Lead a Healthy and Pure Life

 

WHO कहता है की भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है। अधिकतम केवल 350 दवाओं की जरूरत, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएँ। यानि जिन दवाओं की जरुरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलाते है। क्युकी जीतनी दवाएं बिकेगी डॉक्टर का उतना कमिशन बढ़ेगा।



एक बात खाश तौर पे साबित होती है की भारत में एलोपैथी उपचार कारगर साबित नहीं हुआ है। एलोपैथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है। इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारिया काम नहीं हुई बालक और बढ़ गई है। यानि हम जो बीमारियों को ठीक करने के लिए एलोपैथी का दवा कहते है। उससे और नयी तरह की बीमारिया आने लगी है।

ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा रकम देती है डॉक्टर को। यानि डॉक्टर कंमिशन खोर हो गए है। या यु कहे की डॉक्टर इन दवा कंपनियों का एजेंट हो गई है। 

आगर हम ये कहे की भारत में मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से चल रहा है तो ये बोलना गलत नहीं होगा। 

 .........  तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद 


  एलोपैथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों हैं ?

1 ] पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकी एलोपैथी की दवा किसी व् बीमारी को सिर्फ कंट्रोल में हैं। 

2 ]  दूसरी सबसे बड़ा कारन यर है की आयुर्वेद का इलाज लाखो वर्षो पुराना है, जबकि एलोपैथी दवाइयों की खोज कुछ वर्षो पहले हुई है।   

3 ] तीसरा सबसे बड़ा कारन यर है की आयुर्वेद की दवाये घर में, पड़ोस  में या  आसानी से उपलब्ध हो जाती है। जबकि एलोपैथी दवाये ऐसी है की यदि आप गाँवो में रहते हो तो कई किलोमीटर चलकर आपको सहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा। 

4 ] चौथा कारन यह है की ये आयुर्वेदिक दवाये काफी सस्ती है, या कहें की मुफ्त की है, जबकि एलोपैथी दवाओं की कीमत बहोत ही जायदा है। एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लड़भाग 40% हिस्सा बीमारी या इलाज में खर्च हो जाता है।  

5 ]  पांचवा कारन यह है की ये आयुर्वेदिक दवाओ का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। जबकि एलोपैथी में एक बीमारी ठीक करने के लिए इस्तेमाल करो तो दूसरी बीमारी अपनी जड़ पकड़ने लगती है। 

6 ] छठा कारन यह है की ये आयुर्वेदिक सिद्धांत है की इंसान कभी बीमार ही न हो। और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहोत ही आसान है। जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है। जबकि एलोपैथी के पास ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है। 

7 ] सातवां  कारन यह है की ये आयुर्वेद  का 85% हिस्सा सवस्थ रहने के लिए हैं और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइया आती हैं। जबकि एलोपैथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए हैं और 85% हिस्सा इलाज करने के लिए हैं। 


Ayurveda for Healthy and Pure Life



Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

What We Need to Eat to Control High Blood Pressure

Migraine

Health benefit of Mint/Pudina