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Home Remedies for Glamorous Skin

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नुकसान महंगे ब्रांड्स पर आप हज़ारो रुपया खर्च कर सकते हैं लेकिन क्या आपने कभी आकर्षक त्वचा पाने  के  लिए प्राकृतिक उपाय अपनाने का प्रयास किया हैं।  1 अंडा चमकदार त्वचा पाने के लिए :-  तैलीय त्वचा वाले को चेहरे पर अंडे सफेद भाग लगाना चाहिए। शुष्क त्वचा वाले को अंडे का  लगाना चाहिए। त्वचा के रोमछिद्रो को संकुचित करने के लिए अंडा बहुत महत्वपूर्ण है और इससे झुर्रियों से बचाव भी हो सकता है। 2 क्रीमी मसाज से लाभ :-  खूबसूरत  त्वचा  पाने के लिए त्वचा के अनुरूप क्रीम चुने। 2 से 3 बड़े चम्मच क्रीम ले और उसे अपवर्ड सर्कुलर मूवमेंट में मसाज करें और जादू देखेँ। इससे न केवल आपकी त्वचा दमकेगी बल्कि चेहरे की शुष्की भी ख़तम हो जाएगी। 3 फलो से निखरे सौंदर्य :-  निम्बू का रस, सेब का रस, अनानास का रस पीना दमकती त्वचा के लिए  सबसे अच्छा घरेलु नुस्खा हैं और जूस के इस मिश्रण को हम अगर चेहरे पे लगाकर 10 से 15 मिनट तक छोर दें और फिर चेहरा धो लें। फलो में एस्ट्रिंजेंट और ब्लीचिंग के गुण होते हैं जिससे आपकी त्वचा पर प्राकृतिक निखार आयेगा ।  4 बेदाग खूबसूरती के राज़ :- आपके चेहरे की खूबसूरती को अक्सर ब्लैकहैड्स चार

Are you worried about your yellowish teeth?? Don’t be , please read below to know how to get rid of this naturally..

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दांतो का पीलापन आज के समय में एक आम समस्या है। पिले दांतो के कारण न सिर्फ चेहरे की खूबसूरती प्रभावित होती है बल्कि आत्मविश्वास में भी कमी आ जाती है। दांतो के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही भी कई बिमारियों को आमंत्रित करती है।  दांतो की नियमित सफाई न करना पीलेपन का कारण हो। विटामिन डी की कमी भी दांतो की चमक ख़तम कर देती हैं।  कारण   तम्बाकू, गुटका, शराब, आदि के ज्यादा सेवन से दांत पिले हो सकते है।  कुछ लोगो में उम्र  बढ़ने के साथ साथ दांतो पे ब्लैक परत चढ़ती जाती हैं। इससे दांत  भी पिले दिखने लगते है।  ज्यादा मात्रा में चाय, काफी और कोल्ड ड्रिंक का करने से भी दांत पिले होते है।  देश के कई शहरों में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण दातो का रंग बदरंग हो जाते है। उनमे ऊपर पिले और सफ़ेद चकते दिखाई देने लगतें हैं।              लक्षण  पीले दाँत  आयुर्वेदिक उपचार  बेकिंग सोडा : बेकिंग सोडा दांतो को सफ़ेद बनाने का सबसे आसान तरीका हैं।   यह दांतो से प्लाक को ख़तम करके दांतो की सफेदी और चमक बनाये रखता हैं।  कैसे उपयोग करें : रोज ब्रश समय अपने पेस्ट में थोड़ा सा बेकिंग पाउडर डालें और ब्रश कर

Asthma Symptoms, Indications and Ayurvedic Treatment

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सूक्ष्म श्वास नालियों में  कई रोग उत्पन्न हो जाते है जिसके कारन जब किसी व्यक्ति को साँस लेने में परेशानी होने लगती है तब यह स्थिति दमा रोग कहलाती है       कारन  औषधियों का अधिक उपयोग करने के कारन कफ सुख जाने से दमा हो जाता है।  अस्थमा या एलर्जी का पारिवारिक इतिहास (अनवांशिक दमा) का होना भी एक कारन हो सकता है।  खान पान के गलत तरीके से भी यह रोग हो सकता है।  मानसिक तनाव ,क्रोध ,तथा अधिक भय भी दमा होने का एक कारन हो सकता है।  खून में किसी प्रकार दोष उत्पन्न हो जाने के कारन भी दमा हो सकता है।  नशीले पदार्थो का सेवन करना भी इस रोग को बुलावा देना ही होता है।  खांसी जुकाम या नज़ला रोग आदिक समय तक रहने से दमा हो सकता है।  भूख से अधिक भोजन खाने से बी दमा रोग हो सकता है।  मनुष्य की श्वशन नाली में आदिक धूल या ठण्ड लगने के कारन भी दमा रोग हो जाता है।  मल -मूत्र के वेग को भी बार बार रोकने से यह रोग हो सकता है।        लक्षण 

Ayurveda can Help to Lead a Healthy and Pure Life

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  WHO  कहता है की भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है। अधिकतम केवल 350 दवाओं की जरूरत, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएँ। यानि जिन दवाओं की जरुरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलाते है। क्युकी जीतनी दवाएं बिकेगी डॉक्टर का उतना कमिशन बढ़ेगा। एक बात खाश तौर पे साबित होती है की भारत में एलोपैथी उपचार कारगर साबित नहीं हुआ है।  एलोपैथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है। इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारिया काम नहीं हुई बालक और बढ़ गई है। यानि हम जो बीमारियों को ठीक करने के लिए एलोपैथी का दवा कहते है। उससे और नयी तरह की बीमारिया आने लगी है। ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा रकम देती है डॉक्टर को। यानि डॉक्टर कंमिशन खोर हो गए है। या यु कहे की डॉक्टर इन दवा कंपनियों का एजेंट हो गई है।  आगर हम ये कहे की भारत में मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से चल रहा है तो ये बोलना गलत नहीं होगा।   .........  तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद    एलोपैथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों हैं  ? 1 ]  पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकी एलोपैथी की दवा किसी व् बीमारी को सिर्फ क

Ayurvedic Funde

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जीवन को जीना मात्र ही मनुष्य का उद्देश्य नहीं है, बल्कि  सुखपूर्वक निरोगी जीवन बिताना आवश्यक है। आयुर्वेद के कुछ टिप्स अपनाकर भी आप सुखपूर्वक निरोगी जीवन बिता सकते हैं। नियमपूर्वक आयुर्वेद को अपना कर।  प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (4-6 बजे) के मध्य अर्थात सूरज उगने से पहले बिस्तर छोर दें।  सुबह उठकर सबसे पहले ताम्बे के ग्लास या लोटे में रात्रि को रखा पानी पिएँ, इससे मल खुलकर है तथा कब्ज की शिकायत नहीं होती है।  नास्ता भोजन हमेशा भूख से थोड़ा कम करें तथा योग्य आहार का ही सेवन करें तथा भोजन के साथ पानी पीने की आदतों से बचें।  दिनचर्या में जानबूझ कर या अनजाने में असंमित होकार कोई व् अनुचित कार्य न करें, इससे बचे क्युकी ये सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगो का कारन है।  आहार स्वयं एक औषधि है, अतः शुद्ध जल आहार एवंम वायु रोगो से मुक्ति का मार्ग है।    भोजन में गाय के दूध का सेवन आयुर्वेद में जीवनीय माना गए है। तथा ये खुद में एक रसायन औषधि है जिसके रोजाना सेवन से बुढ़ापा देर से आता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने एवं  लम्बी आयु  के लिए  आंवले का नित्य सेवन करें।  साल में एक बार सरीर रूपी मशीन का श

Vegetables Reduces your Fat

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  बात जब वजन काम करने की आती है, तो अक्सर हमें तरह तरह के  सलाह दी जाती है। कई बार हमें कुछ खास सप्लीमेंट लेने के लिए भी कहा जाता है। लेकिन हम  रोजमर्रा के आहार में ही कुछ  करके शरीर पे जमा अतिरिक्त चर्बी को काम कर सकते है। वजन कम करने के लिए  कड़ा प्लान बनाने की जरुरत नहीं बल्कि अपने डाइट प्लान को कड़ाई पालन करने की है। अपने रोजमर्रा के आहार में ये बदलाव लाके अतरिक्त चर्बी से छुटकारा है।  ताजा  खाये अपने रोजमर्रा के आहार में ताजा  खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए। आपके आहार में पौष्टिक, कम वसायुक्त आहार को अपनाना चाहिए। जंक फ़ूड आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। इससे आपको गैर जरुरी वसा और कैलोरी मिलती है। आपको आहार में खूब फल और सब्जिया शामिल करनी चाहिए। इनसे आपको जरुरी पोषण मिलता है और पेट भी तक भरा रहता है इससे आप गैर जरुरी चीजे खाने से बच सकते है।  रोजाना व्यायम करें  इस नियम का पालन करना सबसे जरुरी होता है। इसके लिए जरुरी है की आप हलके व्यायाम से शुरुआत करें। और धीरे धीरे व्यायम का स्तर बढ़ाते जाएं। यदि आज आप 10 मिनट के लिए व्यायम करते है तो एक सप्ताह तक इस व्याम पर कायम रहिये फिर अगले स

Advantages and Some Disadvantages of Papaya

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पोषण ऐ भरपूर पपीता कई बीमारियों से दूर रखने में कारगर है। पाचन या भीख की समस्या से लड़ रहे लोगो को हर कोई पपीता खाने की सलाह देता है। पपीता पका हो या कच्चा , इसके अनेक फायदे है साथ ही साथ कुछ नुकशान भी है।                     आँखों की सुरक्षा  :-   पपीते में विटामिन ऍ प्रचुर मात्रा पाई जाती है। जो आँखों के लिए बहोत ही महत्वपूर्ण होता  है। इसमें कैरोटिनॉइड ल्यूटिन पाया जाता है। जो आँखों को नीली रोशनी से बचता है।  कैंसर से बचाव :- पपीते में ऐसे तत्व पाए जाते है। जो कैंसर से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।  पाचन तंत्र को सक्रिय करता है :-  पपीते में पपेन समेत कई पाचन इन्जाइम्स होते है और कई डायट्री फाइबर्स होते है। ये पाचन-क्रिया को उत्तेजित करने का काम करते है। जिससे पाचन-तंत्र पूरी तरह सक्रिय रहता है। इसमें बिटा कैरोटीन, विटामिन ई और फोलेट आदि पाए जाते है। जो कब्ज जैसी समस्याओ से बचती है।  गठिया(आथ्र्राइटिस) से आराम :-  जब खून और ऊतकों में यूरिक एसिड की मात्रा जब बहोत बढ़ जाती है तब  आथ्र्राइटिस रोग होता है।  कच्चे  पपीते में पाए जाने वाला एंटी इफ्लेमेटरी एंजाइम पपेन और चायमो पपेन य